भारत के पूर्व बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में अपना पहला शतक लगाने के बाद धोनी संन्यास लेना चाहते थे.
धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, लेकिन उनका प्रभाव मैदान पर हमेशा रहेगा. धोनी ने अपनी करियर में कुछ ऐसे महान लक्ष्यों को हासिल किया जो शायद किसी ने कभी नहीं सोचा था. धोनी की कप्तानी में 2007 में भारतीय टीम ने पहला टी20 विश्व कप जीता. 2011 में भारत ने वनडे विश्व कप जीता, चार साल बाद 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती. धोनी क्रिकेट में तीन अलग-अलग आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले पहले कप्तान थे. महान कप्तान होने के अलावा धोनी ने भारत के लिए एक अच्छे फिनिशर भी बनाया था. धोनी ने अपने करियर के शुरू में ही दिखा दिया कि वह लंबे छक्के लगाने और लंबी पारी खेलने में काबिल है.
पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला शतक लगाया था. पाकिस्तान ने पहली पारी में 588 रन बनाए. उस मैच में शाहिद अफ्रीदी और इंजमाम-उल-हक ने शतकीय पारी लगाईं। धोनी ने अपना पहला टेस्ट शतक इरफान पठान के साथ छठे विकेट के लिए शानदार साझेदारी बनाते हुए जड़ा था. दुर्भाग्यवश, धोनी को दानिश कनेरिया की गेंद पर 148 रन पर आउट कर दिया गया. VVSS ने बताया कि धोनी ने ड्रेसिंग रुम में वापस आते ही मजाक में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की थी.
“मुझे आज भी याद है जब धोनी शतक लगाकर वापस ड्रेसिंग रुम में आए थे और उन्होंने जोर से चिल्लाया था कि अब मैं अपने संन्यास की घोषणा कर दूंगा, मैं टेस्ट क्रिकेट में शतक मारा, बस यार”, लक्ष्मण ने कहा. मैं अब टेस्ट क्रिकेट से अधिक कुछ नहीं चाहता.यह सुनकर हम सभी हैरान हो गए, लेकिन यही उन्हें धोनी बनाता है.
भारत मैच जीत नहीं पाया, लेकिन धोनी की शतकीय पारी की बदौलत मैच को ड्रा कराने में सफल रहा. इसके बाद भी धोनी ने भारत के लिए कई मैच खेले और टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम के लिए दोहरा शतक लगाया.